Swami Vivekananda Jayanti: 12 जनवरी को युवा दिवस! विवेकानन्द जी ने कहा, “उठो, जागो, लक्ष्य तक पहुँचो!” जानिए उनकी जीवनी, उद्धरण, बानी हिंदी में।
आत्मविश्वास और सशक्तिकरण पर:
- उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
- आप ईश्वर पर तब तक विश्वास नहीं कर सकते, जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते।
- सबसे बड़ा धर्म अपने स्वभाव के प्रति सच्चा होना है।
- ब्रह्मांड की सभी शक्तियां पहले से ही हमारी हैं। हम बस उनके साथ लुका-छीपी का खेल खेल रहे हैं।
- ताकत जीवन है, कमजोरी मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, घृणा मृत्यु है।
डर और चुनौतियों पर काबू पाने पर:
- किसी चीज से मत डरो। यदि आप डर को अपने रास्ते में खड़े नहीं होने देंगे तो आप अद्भुत काम करेंगे।
- एक दिन, जब आपको कोई समस्या नहीं आती – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर चल रहे हैं।
- संसार एक महान व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने आते हैं।
- अपने जीवन में जोखिम लें। यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व कर सकते हैं; यदि आप हार जाते हैं, तो आप मार्गदर्शन कर सकते हैं!
- केवल वही मित्र आपका है जो मुसीबत में आपकी मदद करेगा।
प्रेम, सेवा और मानवता पर:
- केवल वे ही जीते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं।
- उठो और जागो! कमजोरी के भ्रम से जागो! खड़े हो जाओ और अपने भीतर की दिव्यता को व्यक्त करो!
- सारा प्रेम विस्तार है, सब स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम ही जीवन का एकमात्र नियम है।
- दूसरों पर कीचड़ मत फेंको; क्योंकि आप जिन दोषों से ग्रस्त हैं, उनके लिए आप ही एकमात्र कारण हैं।
- आइए हम मनुष्य, मनुष्य के भविष्य, मनुष्य के भीतर छिपी दिव्यता में अपने विश्वास की घोषणा करें।
आध्यात्मिकता और सत्य को खोजने पर:
- हम वही हैं जो हमारे विचारों ने हमें बनाया है; इसलिए ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं।
- ध्यान मूर्खों को संत बना सकता है, लेकिन दुर्भाग्य से, मूर्ख कभी ध्यान नहीं करते।
- सत्य को हजारों अलग-अलग तरीकों से कहा जा सकता है, फिर भी हर एक सच हो सकता है।
- आराम सत्य की परीक्षा नहीं है। सत्य अक्सर आरामदायक होने से बहुत दूर होता है।
- एक गुरु का असली चिन्ह यह नहीं है कि वह आपको प्रकाश दिखाता है, बल्कि यह है कि वह आपके अपने दिल से अंधकार को दूर करने में आपकी मदद करता है।
भारत भूमि को अनेकों महापुरुषों ने जन्म दिया है, जिनके जीवन और कार्य सदियों से लोगों को प्रेरित करते आए हैं। ऐसे ही महापुरुषों में से एक हैं स्वामी विवेकानंद, जिनकी जयंती हर साल 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद का जीवन भारतीय संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिकता के वैभव का प्रमाण है, साथ ही वे युवाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणास्रोत हैं।
नरेन्द्र से विवेकानंद तक की यात्रा:
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में नरेन्द्रनाथ दत्त के रूप में हुआ था। एक संपन्न और सुसंस्कृत परिवार में पले-बढ़े नरेन्द्र बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। उनका मन अध्यात्मिक सवालों की ओर खींचता था और वे हर धर्म, दर्शन और विचारधारा को समझने की इच्छा रखते थे। उनकी इस जिज्ञासा ने उन्हें श्री रामकृष्ण परमहंस से मिलाया, जो उनके गुरु बन गए और उनके जीवन का मार्गदर्शन किया। श्री रामकृष्ण परमहंस के मार्गदर्शन में नरेन्द्र आध्यात्मिकता के गहन अनुभवों से गुजरे और अंततः उन्हें 1887 में स्वामी विवेकानंद के रूप में दीक्षा मिली।
विश्व पटल पर भारत का गौरव:
1893 में शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। उनके ओजपूर्ण भाषणों ने पूरे विश्व को चौंका दिया। उन्होंने वेदांत के सार को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया और पश्चिम को भारत की आध्यात्मिक विरासत से परिचित कराया। विवेकानंद ने कहा, “सभी धर्म सत्य हैं, केवल उनका दृष्टिकोण अलग है।” उनके भाषणों ने भारत के प्रति पश्चिम की धारणा को बदल दिया और उन्हें विश्व धर्म मंच पर एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया।
राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका:
स्वामी विवेकानंद युवाओं पर अ immense विश्वास करते थे। उन्होंने कहा, “भविष्य का निर्माण करने का दायित्व युवाओं पर है।” उन्होंने युवाओं को आत्मनिर्भर बनने, शिक्षा प्राप्त करने और समाज सुधार में योगदान करने का आह्वान किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जो शिक्षा, चिकित्सा और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
विवेकानंद की विरासत:
स्वामी विवेकानंद का जीवन और कार्य हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है। उन्होंने हमें आत्मनिर्भरता, सहिष्णुता, सेवाभाव और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। उनकी विरासत आज भी प्रासंगिक है और युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के लिए प्रेरित करती है।
एक मजबूत और स्वस्थ भारत का निर्माण:
स्वामी विवेकानंद का मानना था कि एक मजबूत और स्वस्थ भारत बनाने के लिए आध्यात्मिकता और भौतिक प्रगति का संतुलन आवश्यक है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे ज्ञान और कौशल अर्जित करें, उद्यमी बनें और राष्ट्र के आर्थिक विकास में योगदान दें। विवेकानंद ने कहा, “पहले आत्मनिर्भर बनो, फिर दूसरों की मदद करो
उन्होंने शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का प्रमुख स्तंभ माना। उन्होंने युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। विवेकानंद ने कहा, ” शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान का संचय नहीं, बल्कि चरित्र का निर्माण है।”
संपूर्ण विश्व का कल्याण:
स्वामी विवेकानंद का दृष्टिकोण वैश्विक था। उनका मानना था कि सभी धर्म एक ही सत्य के विभिन्न मार्ग हैं और सभी मनुष्यों को भाई-बहन की भावना से रहना चाहिए। उन्होंने पूरे विश्व के कल्याण और सभी प्राणियों के प्रति करुणा का संदेश दिया। विवेकानंद ने कहा, “हम दुनिया में हैं, दुनिया के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया को बेहतर बनाने के लिए हैं।”
उन्होंने पूरे विश्व में रामकृष्ण मिशन की शाखाएं स्थापित कीं, जो सामाजिक सेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। रामकृष्ण मिशन का उद्देश्य सभी मनुष्यों की सेवा करना और विश्व में शांति और सद्भाव फैलाना है।
विवेकानंद की प्रेरणादायक विरासत:
स्वामी विवेकानंद का जीवन और कार्य आज भी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है। उनकी शिक्षाएं हमें आत्मनिर्भर बनने, ज्ञान प्राप्त करने, समाज की सेवा करने और विश्व के कल्याण में योगदान करने के लिए प्रेरित करती हैं। विवेकानंद ने कहा, “उठो, जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक अपना लक्ष्य न प्राप्त कर लो।”