गांधी जी पापी किसे मानते थे?

महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे और उन्हें देशभक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। उनकी अहिंसा और सत्याग्रह की अद्वितीय विचारधारा ने उन्हें विश्व भर में मान्यता प्राप्त कराई है। लेकिन क्या गांधी जी को पापी माना जाना उचित है?

गांधी जी ने अपने जीवन में कई बार अपने आपको अधिकारी और पापी माना था। उन्होंने कहा था, “मैं एक अधिकारी हूँ, मैं एक पापी हूँ।” उन्होंने यह मान्यता अपनाई क्योंकि वे जानते थे कि हर मनुष्य के अंदर दोष होते हैं और उन्हें उन दोषों के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

गांधी जी को अपने आपको पापी मानने का एक और कारण था उनकी विचारधारा के अनुसार, जब मनुष्य अपने दोषों को स्वीकारता है और उन्हें सुधारने का प्रयास करता है, तो उसे अपने आपको पापी मानने की आवश्यकता होती है। यह आत्मसम्मान और आत्मविश्वास का प्रतीक होता है।

गांधी जी के विचारधारा के अनुसार, हम सभी में पाप होता है और हमें उन पापों के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने यह सिखाया कि हमें अपने दोषों को स्वीकारना चाहिए और उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार, गांधी जी ने हमें आत्मनिर्भर बनाने की शिक्षा दी और हमें अपने आपको सुधारने के लिए प्रेरित किया।

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इसलिए, गांधी जी को पापी मानना उचित है क्योंकि वे अपने आपको उन दोषों के लिए जिम्मेदार मानते थे जो हम सभी में होते हैं। उन्होंने हमें सुधारने की प्रेरणा दी और आत्मनिर्भरता की शिक्षा दी।

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