किसान क्रेडिट कार्ड धारक की मृत्यु होने पर परिवार को 50,000 रुपये का बीमा मिलता है। यदि कोई मौजूदा ऋण है, तो बैंक परिवार को ऋण चुकाने के लिए कह सकता है।
किसान मित्र का साया छंट गया? जानिए कर्ज का बोझ किसके कंधों पर होगा!
खेतों में सुनहरी फसल लहराती हो, किसान का चेहरा हंसी से खिलता हो, यही तो सपना होता है हर सच्चे किसान का। लेकिन जीवन का सफर अनिश्चितताओं से भरा है। कभी अप्रत्याशित घटनाएं हमें हिला कर रख देती हैं। ऐसे में अगर परिवार के मुखिया, किसान भाई का साया सर से हट जाए, तो उनके पीछे छोड़े गए सपनों और कर्ज के बोझ का क्या होगा? आइए, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत, किसान की मृत्यु होने पर उसके परिवार को मिलने वाली राहत और कर्ज की जिम्मेदारी के बारे में विस्तार से जानें।
कर्ज का बोझ, मायके का साया: किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) योजना किसानों को सस्ते ब्याज दरों पर खेती से जुड़े खर्चों के लिए लोन उपलब्ध कराती है। लेकिन दुर्भाग्य से किसान की मृत्यु होने पर कर्ज चुकाने की जिम्मेदारी किसी तयशुदा नियम से नहीं बंधी है। यह मुख्य रूप से पारिवारिक उत्तराधिकार और परंपराओं पर निर्भर करती है। अगर मृतक किसान के कानूनी वारिस, खासकर बेटे, खेती का जिम्मा संभालते हैं, तो वे लोन चुकाने के लिए भी तैयार हो सकते हैं। हालाँकि, यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है।
बीमा का सहारा, परिवार का हथियार: किसान क्रेडिट कार्ड योजना के साथ जुड़ी दुर्घटना बीमा योजना मृतक किसान के परिवार को आर्थिक सहायता देती है। इस योजना के तहत किसान की मृत्यु होने पर 50,000 रुपये का बीमा क्लेम मिलता है। यह छोटी रकम भले ही पूरे कर्ज को न चुका पाए, लेकिन इससे परिवार को तत्कालिक आर्थिक परेशानियों से निपटने में मदद मिलती है।
सरकारी मदद, उम्मीद की किरण: केंद्र सरकार ने किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चलाई हैं। प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत हर साल पात्र किसान परिवारों को 6,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अलावा, फसल बीमा योजना जैसी अन्य योजनाएं भी किसानों के लिए जोखिम कम करती हैं।
सलाह का वचन, भविष्य का धन: किसान की मृत्यु के बाद कर्ज और खेती का निर्णय लेते समय परिवार को वकील और बैंक अधिकारियों से सलाह लेना चाहिए। सभी विकल्पों को समझने और परंपराओं का सम्मान करते हुए फैसला लेना उचित होता है। साथ ही, किसान भाई-बहनों को सावधानी पूर्वक फसल बीमा और दुर्घटना बीमा जैसी योजनाओं का लाभ उठाकर भविष्य के लिए सुरक्षा का जाल बुनना चाहिए।
ध्यान दें: यह लेख केवल जानकारी प्रदान करता है और कानूनी सलाह नहीं है। कृपया किसी भी विशिष्ट परिस्थिति में वकील से सलाह लें।