आहोई अष्टमी 2022 व्रत कथा
आहोई अष्टमी व्रत का त्योहार हर साल अक्टूबर या नवंबर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का महत्व अत्यंत उच्च होता है और यह विशेष रूप से मातृत्व के प्रतीक माना जाता है। इस लेख में हम आहोई अष्टमी 2022 व्रत कथा के बारे में विस्तार से जानेंगे।
आहोई अष्टमी व्रत कथा का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मातृत्व के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यह कथा माता दुर्गा के पुत्रों की विवाहित और गृहस्थ महिलाओं को उनके संतानों की रक्षा करने के लिए समर्पित है। इस व्रत को करने से माता दुर्गा हमारी संतानों की सुरक्षा करती है और हमें स्वस्थ और समृद्धि प्रदान करती हैं।
आहोई अष्टमी 2022 व्रत कथा की शुरुआत एक ग्रामीण गांव में एक समृद्ध और खुशहाल घर में हुई। घर की माता ने एक छोटे से पेड़ के नीचे अपने दोस्त को देखा और उसे अपने घर बुलाया। उसने उसे एक चिट्ठी दी और कहा, “मेरी ये छोटी सी बगीचा तुम्हारे लिए है। इसे सम्बद्ध रखें और इसकी देखभाल करें।” उसकी दोस्त ने खुशी-खुशी उसे स्वीकार कर लिया।
थोड़ी देर बाद, उसे बच्चे की आवाज सुनाई दी। जब वह बच्चे के पास पहुंची, तो उसने देखा कि एक राक्षस ने उसे अपने बच्चे के रूप में बना लिया है। उसने राक्षस को देखते ही अपने दोस्त को बहुत चिंता हुई और वह उसे ढक्कन बंद गुफा में छिपाने लगी।
गुफा में छिपने के बाद, उसने अपने बच्चे को ढक्कन से बाहर निकालने का निर्णय लिया। लेकिन जब उसने ढक्कन खोला, तो उसे देखा कि उसका बच्चा बिल्कुल मर चुका है। उसने अपने बच्चे की मृत्यु को देखकर वह बहुत दुखी हुई।
उसने अपनी दुखभरी कथा सुनाई और उसने अपनी गलती स्वीकार की। उसने माता दुर्गा से प्रार्थना की कि वह उसे अपने बच्चे की जिंदगी वापस दे दे। माता दुर्गा ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसके बच्चे को जिंदा कर दिया।
इस तरह, आहोई अष्टमी व्रत कथा द्वारा बताया जाता है कि माता दुर्गा हमारे संतानों की सुरक्षा करती है और हमें सुख-शांति प्रदान करती हैं। इस व्रत को आप भी आहोई अष्टमी 2022 में मना सकते हैं और माता दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।